बॉस हमेशा सही होते हैं
यह जुमला बेहद पॉपुलर है। बेशक बॉस वरिष्ठ और अनुभवी हैं, तो उनकी बात जरूर सही होगी। लेकिन परेशानी तब आती है, जब आप आंख मूंदकर उनकी हर बात को स्वीकारने के लिए तैयार खड़े दिखते हैं। इससे बॉस हमेशा खुश नहीं होंगे, न ही काम ही बेहतर होगा। क्योंकि बॉस भी इंसान हैं, गलतियां उनसे भी हो सकती हैं। यदि उनकी बात को ठीक से परखकर पालन करेंगे, तो इससे बॉस खुश होंगे ही, साथ ही इससे आपकी पेशेवर छवि भी बेहतर होगी।
फीडबैक जरूरी तो नहीं: काम पूरा हो गया, अब कोई कुछ भी बोले या सोचे, मुङो क्या? यदि आप भी कुछ इसी तरह की सोच रखते हैं, तो इस पर फिर से गौर करने की जरूरत है। क्या वह काम सचमुच कुछ खास रिजल्ट दे रहा है? यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है। पर इसके लिए जरूरी है आपके बॉस, कलीग और उन सबका फीडबैक, जो आपके प्रोजेक्ट या टास्क से जुड़े हुए हैं। इन लोगों का फीडबैक लेने से आपको अपना और अपने काम के मूल्यांकन में मदद मिलती है। इससे आप अपने परफॉर्मेस को और भी बेहतर बना सकते हैं।
दिखावे का जमाना है केवल बॉस या अपने कलीग के सामने अपनी छवि बेहतर करने के मकसद से आप अपनी सीट पर डटे रहते हैं और आपको लगता है कि आप सही हैं, तो इससे अभी तौबा कर लीजिए। कई लोगों को यह भी लगता है कि वे क्या कर रहे हैं, उन्हें जताना, उनके बारे में बार-बार जिक्र करना जरूरी है। यह रवैया भी कतई सही नहीं है। हो सकता है कि आपको यह सही लग रहा हो, लेकिन यदि आप सचमुच एक जिम्मेदार एम्प्लॉयी हैं, तो इसके लिए ढोल पीटने की जरूरत नहीं पड़ती।
काम तो काम है: जब जॉब करनी है, तो काम भी करना ही है। फिर चाहे उसमें आपकी दिलचस्पी हो या न हो, कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि आप भी कुछ ऐसा ही सोच रहे हैं, तो इस पर विराम लगाने की जरूरत है। दरअसल, जो काम आप कर रहे हैं, उसमें दिलचस्पी न होने से वह पूरा तो जरूर हो जाता है, लेकिन महज औपचारिक रूप से। वहीं, जब आप पूरी दिलचस्पी लेकर उसे पूरा करते हैं, तो उस काम में आपकी क्रिएटिविटी भी जुड़ जाती है। इससे वह काम आपको बेहतर रिजल्ट देता है। इसलिए काम हमेशा दिलचस्पी को ताक पर रखकर पूरा करना सही नहीं हो सकता।
बिन टेंशन जॉब कैसी? अरे काम है, उसका इतना प्रेशर है, तो चिढ़ना-ङिाड़कना और कभी-कभी टेंशन स्वाभाविक है। आप भी ऐसा मानते हैं, तो आपको फौरन अपनी यह राय बदल लेनी चाहिए। दरअसल, संयमित रिस्पांस न केवल आपकी छवि, बल्कि आपके काम को भी नई ऊंचाई दे सकता है। वहीं, यदि आप यह मानकर चलते हैं कि टेंशन होना स्वाभाविक है, तो आप हर टॉस्क को अत्यधिक प्रेशर में करने लगेंगे। क्या पता टेंशन पालना आपकी आदत में शुमार हो जाए!
सीमा झा.
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