सौरभ ग्रेजुएशन करने के बाद इस उधेड़बुन में था कि बैचलर डिग्री के आधार पर जॉब की तलाश करे या फिर कोई और ऐसा कोर्स, जिससे जॉब मार्केट में उसकी वैल्यू बढ़ सके। जानने वालों से परामर्श करने और खुद की सोच के आधार पर वह अपनी पसंद का प्रोफेशनल कोर्स करना चाहता था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह इस दिशा में कदम नहीं उठा सका। काफी प्रयास के बाद उसे एक नौकरी मिल सकी, पर वहां मिलने वाली सैलरी और काम दोनों ही संतोषजनक नहीं थे। करीब छह महीने काम करने के बाद ही उसके भीतर की छटपटाहट बढ़ गई। अंतत: सौरभ ने यह तय किया कि उसे कोई बेहतर कोर्स करने के बाद ही फिर जॉब मार्केट में मजबूती से कदम से रखना चाहिए। तसल्ली की बात यह थी कि उसने इन छह महीनों में कुछ पैसे बचा लिए थे, जो उसकी प्रोफेशनल पढ़ाई के काम आ सकते थे। उसने एक प्रतिष्ठित संस्थान में डुएल स्पेशलाइजेशन वाले दो साल के पीजीडीएम कोर्स में दाखिला ले लिया। इंडस्ट्री के बीच संस्थान की मार्केट वैल्यू अच्छी होने से कोर्स पूरा करते ही सौरभ को एमएनसी में जॉब मिल गई। दिलचस्प बात यह रही कि इसमें उसे पहली नौकरी के मुकाबले शुरुआत में ही करीब तीन गुना सैलरी मिल गई। अब उसे समझ में आ गया कि नौकरी पाने की जल्दबाजी करियर के लिए कितनी नुकसानदेह साबित हो सकती है। सौरभ तो समय रहते चेत गए। अपनी गलती सुधार ली, तभी आज खुशहाल जीवन जी रहे हैं, लेकिन आज ऐसे युवाओं की कमी नहीं है, जो पारिवारिक स्थिति या जल्दबाजी के चलते कोई भी नौकरी ज्वाइन कर लेते हैं और फिर दलदल में फंसते चले जाते हैं।
दलदल से निकलें अगर किसी कारण आपको मनोनुकूल जॉब नहीं मिलती और मजबूरी में नौकरी करनी पड़ती है, तो भी हार न मानें। कुछ समय काम करने के बाद और अगर संभव न हो, तो काम के साथ-साथ ही मनपसंद प्रोफेशनल पढ़ाई करने की कोशिश करते रहें। यह कोशिश आपको खुशहाल करियर की दिशा में काफी आगे ले जा सकती है। हां, शर्त यही है कि पहली नौकरी के दलदल में फंसकर भीतर तक न धंसते जाएं। इस लालच में भी न पड़ें कि नौकरी छोड़ देंगे, तो क्या होगा? मेरा और परिवार का खर्च कैसे चलेगा? थोड़ी बचत करके, खर्चे कम करके और पार्टटाइम काम ढूंढकर आप इस स्थिति से पार पा सकते हैं। जरा सोचें, थोड़े दिनों का कष्ट बेहतर है या फिर जिंदगी भर रोते-मरते रहना। अगर लोभ में आकर शुरुआती दलदल में फंस गए, तो यकीन मानिए आप जीवन भर परेशानियों से उबर नहीं पाएंगे। दस-पंद्रह साल की नौकरी के बाद जब लगने लगेगा कि अब तो घर-परिवार का खर्चा बिल्कुल ही नहीं चल रहा, तो उस समय करने के लिए आपके हाथ में कुछ भी नहीं होगा। रोजमर्रा के खर्चो को पूरा करने में हर दिन आपकी कमर टूटती रहेगी। इस स्थिति से उबरने के लिए शुरुआत में ही साहस दिखाना होगा।
मौके बेशुमार इन दिनों योग्य लोगों के लिए मौकों की कमी नहीं है, बशर्ते स्किल में कोई कमी नहीं हो। अगर नौकरी करने की विवशता ज्यादा है और आप उसे छोड़ नहीं पाते, तो इसका भी विकल्प आपके आसपास ही है। आप जॉब के साथ डिस्टेंस मोड से भी प्रोफेशनल के साथ-साथ हर तरह की पढ़ाई कर सकते हैं। यहां तक कि छोटी से लेकर आईएएस-पीसीएस जैसी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी भी। डिस्टेंस मोड से पढ़ाई भी उतनी ही मान्य है, जितनी रेगुलर। हां, इस पढ़ाई के बाद नौकरी की तलाश करने के बाद एक सकारात्मक तथ्य और जुड़ जाएगा और वह है आपकी नौकरी का अनुभव, जो बेहतर नौकरी दिलाने में आपके लिए मददगार साबित होगा। इन सबके लिए आपको दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कदम आगे बढ़ाना होगा। आप खुद महसूस करेंगे कि शुरुआती कठिनाइयों के बाद मिलने वाली मंजिल कितनी खुशगवार है।
खुद को करें तैयार मनपसंद नौकरी पाने और खुशहाल जीवन जीने की राह पर चलने के लिए स्ट्रेटेजी बनानी होगी। इस पर पूरी तरह अमल करना होगा। आप पहले से ही योजना बना लें कि पूरी पढ़ाई से पहले जॉब करनी है, तो कब तक? कौन-सा प्रोफेशनल कोर्स आपके लिए ज्यादा उपयुक्त होगा? कोर्स का चयन करने के बाद यह देखें कि उसके लिए सर्वोत्तम संस्थान कौन हो सकता है? जॉब के साथ पढ़ाई करनी है या जॉब छोड़कर? यदि जॉब के साथ कोर्स करना पड़े, तो क्या दोगुने मेहनत के लिए तैयार हैं? ये कसौटियां स्वीकार हैं, तो फिर कदम आगे बढ़ाएं..।
( इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट एजुकेशन के डायरेक्टर प्रो. एच.पी. गुप्ता से बातचीत पर आधारित)
दलदल से निकलें अगर किसी कारण आपको मनोनुकूल जॉब नहीं मिलती और मजबूरी में नौकरी करनी पड़ती है, तो भी हार न मानें। कुछ समय काम करने के बाद और अगर संभव न हो, तो काम के साथ-साथ ही मनपसंद प्रोफेशनल पढ़ाई करने की कोशिश करते रहें। यह कोशिश आपको खुशहाल करियर की दिशा में काफी आगे ले जा सकती है। हां, शर्त यही है कि पहली नौकरी के दलदल में फंसकर भीतर तक न धंसते जाएं। इस लालच में भी न पड़ें कि नौकरी छोड़ देंगे, तो क्या होगा? मेरा और परिवार का खर्च कैसे चलेगा? थोड़ी बचत करके, खर्चे कम करके और पार्टटाइम काम ढूंढकर आप इस स्थिति से पार पा सकते हैं। जरा सोचें, थोड़े दिनों का कष्ट बेहतर है या फिर जिंदगी भर रोते-मरते रहना। अगर लोभ में आकर शुरुआती दलदल में फंस गए, तो यकीन मानिए आप जीवन भर परेशानियों से उबर नहीं पाएंगे। दस-पंद्रह साल की नौकरी के बाद जब लगने लगेगा कि अब तो घर-परिवार का खर्चा बिल्कुल ही नहीं चल रहा, तो उस समय करने के लिए आपके हाथ में कुछ भी नहीं होगा। रोजमर्रा के खर्चो को पूरा करने में हर दिन आपकी कमर टूटती रहेगी। इस स्थिति से उबरने के लिए शुरुआत में ही साहस दिखाना होगा।
मौके बेशुमार इन दिनों योग्य लोगों के लिए मौकों की कमी नहीं है, बशर्ते स्किल में कोई कमी नहीं हो। अगर नौकरी करने की विवशता ज्यादा है और आप उसे छोड़ नहीं पाते, तो इसका भी विकल्प आपके आसपास ही है। आप जॉब के साथ डिस्टेंस मोड से भी प्रोफेशनल के साथ-साथ हर तरह की पढ़ाई कर सकते हैं। यहां तक कि छोटी से लेकर आईएएस-पीसीएस जैसी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी भी। डिस्टेंस मोड से पढ़ाई भी उतनी ही मान्य है, जितनी रेगुलर। हां, इस पढ़ाई के बाद नौकरी की तलाश करने के बाद एक सकारात्मक तथ्य और जुड़ जाएगा और वह है आपकी नौकरी का अनुभव, जो बेहतर नौकरी दिलाने में आपके लिए मददगार साबित होगा। इन सबके लिए आपको दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कदम आगे बढ़ाना होगा। आप खुद महसूस करेंगे कि शुरुआती कठिनाइयों के बाद मिलने वाली मंजिल कितनी खुशगवार है।
खुद को करें तैयार मनपसंद नौकरी पाने और खुशहाल जीवन जीने की राह पर चलने के लिए स्ट्रेटेजी बनानी होगी। इस पर पूरी तरह अमल करना होगा। आप पहले से ही योजना बना लें कि पूरी पढ़ाई से पहले जॉब करनी है, तो कब तक? कौन-सा प्रोफेशनल कोर्स आपके लिए ज्यादा उपयुक्त होगा? कोर्स का चयन करने के बाद यह देखें कि उसके लिए सर्वोत्तम संस्थान कौन हो सकता है? जॉब के साथ पढ़ाई करनी है या जॉब छोड़कर? यदि जॉब के साथ कोर्स करना पड़े, तो क्या दोगुने मेहनत के लिए तैयार हैं? ये कसौटियां स्वीकार हैं, तो फिर कदम आगे बढ़ाएं..।
( इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट एजुकेशन के डायरेक्टर प्रो. एच.पी. गुप्ता से बातचीत पर आधारित)
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