वर्कप्लेस ऐसी जगह है, जहां आप पर हर समय कुछ बेहतर और कुछ नया करने का दबाव रहता है। हो सकता है कि आप चाहते हों कि कोई आपका उत्साह बढ़ाता रहे। आपके सहकर्मी आपको मोटिवेट करते रहें। लेकिन यह व्यावहारिक बात नहीं। आप स्वयं सोचें, आप किसे मोटिवेट करते हैं? दरअसल, सबके पास अपने-अपने काम का दबाव होता है, ऐसे में मोटिवेशन आपको अपने भीतर ही तलाशना होगा। आपको खुद को मोटिवेट करना होगा और अच्छा करने पर खुद को शाबाशी भी देनी होगी। आम तौर पर आपके बॉस अथवा सीनियर आपके अच्छे काम पर अपनी सराहना को छिपा लेते हैं। यह उनका अपना तरीका होता है, ताकि आपमें ओवर-कॉन्फिडेंस न आ जाए। ऐसे में भी आप खुद को मोटिवेट रखें, तभी आप बेहतर परफॉर्र्मेस दे पाएंगे। यकीन मानिए, आपके बेहतरीन काम पर आपके बॉस भले ही प्रशंसा न करें, लेकिन उन्हें यह मालूम होता है कि कितनी मेहनत से आपने इस काम को अंजाम दिया है। ऑफिस में आपको मोटिवेट करने दूसरा नहीं आएगा, आपको खुद ही अपने को मोटिवेट करना होगा। लेकिन कैसे?
काम में लाएं बदलाव आप जो काम करते हैं, वह आमतौर पर एक जैसा ही होता है। आप यदि उस काम को एक ही तरीके से करते रहे, तो जाहिर है, ऊब जाएंगे। यह ऊब बड़ी खतरनाक होती है। आप सोचें, काम कोई भी हो, उसे करने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। उनके बारे में सोचिए और काम को नए ढंग से कीजिए। इससे आप एकरसता से बचेंगे और काम में आपका मन भी लगेगा। ऊब से आप निकल गए तो निश्चित रूप से परिणाम भी उत्साहजनक ही आएगा।
क्यों आते हैं ऑफिस आपको स्वयं से यह प्रश्न पूछना होगा कि आप ऑफिस क्यों आते हैं? यदि आप सिर्फ नौकरी करने आते हैं, तो आपमें उत्साह की कमी है। आपको अपना लक्ष्य तय करना होगा। जब आप कोई लक्ष्य तय कर लेते हैं, तब आप उसी के अनुरूप अपनी परफॉर्र्मेस भी देते हैं। आप तय कीजिए कि मुझे कंपनी को कितना लाभ पहुंचाना है और कंपनी में किस पद तक पहुंचना है। ऐसा करने से आपमें उत्साह भर जाएगा और आप अपने काम को सिर्फ नौकरी करने तक सीमित नहीं रखेंगे, बल्कि अतिरिक्त प्रयासों से खुद को मोटिवेट भी रखेंगे।
जिम्मेदारी सबसे बड़ी मोटिवेटर इस बात को गंभीरता से समझें कि जिम्मेदारी का भाव आपमें काम के प्रति रुचि पैदा करता है। आमतौर पर एम्लॉई काम को बेमन से निपटा देते हैं, लेकिन सोचिए, इसी काम से आपकी पहचान बनती है। आपका प्रोफेशनल रिकॉर्ड हमेशा अपडेट होता रहता है। यदि आप जिम्मेदारी नहींमहसूस करते, तो आपकी छवि भी अच्छी कतई नहीं बनेगी। दूसरे, आपमें उत्साह नहीं रहेगा। जिम्मेदारी लेकर तो देखिए, आप उत्साह से लबरेज हो जाएंगे। अपनी जिम्मेदारी पर आप अच्छा प्रदर्शन करेंगे, तो क्रेडिट भी तो आपको ही जाएगा और आपकी छवि भी एक जिम्मेदार एम्प्लॉई की बनेगी। खुद को मोटिवेट करने के लिए जिम्मेदारी लेनी ही होगी। आपके साथी कौन? यह बड़ा फैक्टर है, जो सीधे आपकी परफॉर्र्मेस से जुड़ा है। योग्य और जिम्मेदार लोगों का साथ ऑफिस में करें, ताकि आप उनसे मोटिवेट हो सकें। ऐसे लोगों की अपेक्षा जो हमेशा गप्पें हांकते रहते हों, आप उनका साथ करें, जो हमेशा उपलब्धियों और अपने काम से संबंधित बातें करते हों और जो सकारात्मक विचारधारा रखते हों। आपको उनसे हर समय कुछ न कुछ सीखने को मिलता है और अनजाने ही आप उनसे मोटिवेट भी हो जाते हैं। फालतू की बकवास करने वाले लोगों का साथ आपको अपने काम से भी भटका सकता है, यह याद रखें। यदि आप अपना मन काम में नहीं लगा पा रहे हैं, तो आप उत्साहजनक काम करने वाले अपने साथियों से मदद ले सकते हैं कि वे किस तरह खुद को मोटिवेट रखते हैं। एक बार मोटिवेशन की राह पर आगे बढ़ जाने के बाद फिर पीछे मुड़कर देखने की नौबत नहीं आएगी। आप नि:संदेह कामयाबी की सीढि़यां एक-एक करके लगातार चढ़ते ही जाएंगे।
काम में लाएं बदलाव आप जो काम करते हैं, वह आमतौर पर एक जैसा ही होता है। आप यदि उस काम को एक ही तरीके से करते रहे, तो जाहिर है, ऊब जाएंगे। यह ऊब बड़ी खतरनाक होती है। आप सोचें, काम कोई भी हो, उसे करने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। उनके बारे में सोचिए और काम को नए ढंग से कीजिए। इससे आप एकरसता से बचेंगे और काम में आपका मन भी लगेगा। ऊब से आप निकल गए तो निश्चित रूप से परिणाम भी उत्साहजनक ही आएगा।
क्यों आते हैं ऑफिस आपको स्वयं से यह प्रश्न पूछना होगा कि आप ऑफिस क्यों आते हैं? यदि आप सिर्फ नौकरी करने आते हैं, तो आपमें उत्साह की कमी है। आपको अपना लक्ष्य तय करना होगा। जब आप कोई लक्ष्य तय कर लेते हैं, तब आप उसी के अनुरूप अपनी परफॉर्र्मेस भी देते हैं। आप तय कीजिए कि मुझे कंपनी को कितना लाभ पहुंचाना है और कंपनी में किस पद तक पहुंचना है। ऐसा करने से आपमें उत्साह भर जाएगा और आप अपने काम को सिर्फ नौकरी करने तक सीमित नहीं रखेंगे, बल्कि अतिरिक्त प्रयासों से खुद को मोटिवेट भी रखेंगे।
जिम्मेदारी सबसे बड़ी मोटिवेटर इस बात को गंभीरता से समझें कि जिम्मेदारी का भाव आपमें काम के प्रति रुचि पैदा करता है। आमतौर पर एम्लॉई काम को बेमन से निपटा देते हैं, लेकिन सोचिए, इसी काम से आपकी पहचान बनती है। आपका प्रोफेशनल रिकॉर्ड हमेशा अपडेट होता रहता है। यदि आप जिम्मेदारी नहींमहसूस करते, तो आपकी छवि भी अच्छी कतई नहीं बनेगी। दूसरे, आपमें उत्साह नहीं रहेगा। जिम्मेदारी लेकर तो देखिए, आप उत्साह से लबरेज हो जाएंगे। अपनी जिम्मेदारी पर आप अच्छा प्रदर्शन करेंगे, तो क्रेडिट भी तो आपको ही जाएगा और आपकी छवि भी एक जिम्मेदार एम्प्लॉई की बनेगी। खुद को मोटिवेट करने के लिए जिम्मेदारी लेनी ही होगी। आपके साथी कौन? यह बड़ा फैक्टर है, जो सीधे आपकी परफॉर्र्मेस से जुड़ा है। योग्य और जिम्मेदार लोगों का साथ ऑफिस में करें, ताकि आप उनसे मोटिवेट हो सकें। ऐसे लोगों की अपेक्षा जो हमेशा गप्पें हांकते रहते हों, आप उनका साथ करें, जो हमेशा उपलब्धियों और अपने काम से संबंधित बातें करते हों और जो सकारात्मक विचारधारा रखते हों। आपको उनसे हर समय कुछ न कुछ सीखने को मिलता है और अनजाने ही आप उनसे मोटिवेट भी हो जाते हैं। फालतू की बकवास करने वाले लोगों का साथ आपको अपने काम से भी भटका सकता है, यह याद रखें। यदि आप अपना मन काम में नहीं लगा पा रहे हैं, तो आप उत्साहजनक काम करने वाले अपने साथियों से मदद ले सकते हैं कि वे किस तरह खुद को मोटिवेट रखते हैं। एक बार मोटिवेशन की राह पर आगे बढ़ जाने के बाद फिर पीछे मुड़कर देखने की नौबत नहीं आएगी। आप नि:संदेह कामयाबी की सीढि़यां एक-एक करके लगातार चढ़ते ही जाएंगे।
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